देश में 50 हजार कर्मचारी नेता काम में ‘0’; 3 साल में 10%, फिर 50% तक निकाले जाएंगे

जाेधपुर . आय कम और खर्च ज्यादा की पटरी पर दौड़ रहा रेलवे अपने सिस्टम में बड़े परिवर्तन की सोच रहा है। इसके लिए दो दिन तक मंडल स्तर के अधिकारियों से लेकर डीआरएम व महाप्रबंधक ने साथ बैठकर बात की। अधिकारियों ने रेलमंत्री से कहा है कि पूरे देश में रेलवे के करीब 50 हजार कर्मचारी नेता हैं, जिनके काम का आउटपुट जीरो है। इनमें सुपरवाइजर स्तर के लोग भी हैं, जिनके अधीन कर्मचारियों से काम लेने पर भी असर पड़ रहा है।


कर्मचारियों की संख्या कम करने का प्रस्ताव


रेलवे की परिवर्तन संगोष्ठी के बाद कॉस्ट कटिंग के तहत कर्मचारियों की संख्या कम करने का प्रस्ताव रखा गया है। बताया गया है कि अगले तीन साल में 10 फीसदी और बाद में चरणबद्ध तरीके से 50 फीसदी कर्मचारी सिस्टम से बाहर कर दिए जाएंगे।


यूनियन की सहूलियतों पर पुनर्विचार की जरूरत


रेलवे में सुधार के लिए हुई इस संगोष्ठी में जोनल रेल कार्यालयों, उत्पादन इकाइयों, मंडल रेल कार्यालयों आदि के अधिकारियों ने दो हजार से अधिक सुझाव दिए। इनमें से महत्वपूर्ण सुझावों का चयन किया गया। इन पर महाप्रबंधक की अध्‍यक्षता में 12 समूहों में अधिकारियों ने विचार-विमर्श कर परिवर्तन का रोडमैप बनाया। रेलवे का मानना है कि प्रत्येक मंडल में करीब 250 पदाधिकारी यूनियन के लिए काम करते हैं। इनकी संख्या कम करने के साथ यूनियन को दी जाने वाली सहूलियतों पर गंभीरता के साथ पुनर्विचार करने की जरूरत है। देश में 50 हजार कर्मचारी इन यूनियन में हैं, जो रेल संचालन का कोई काम नहीं कर रहे।


अगले तीन साल में 10 फीसदी कर्मचारी कम किए जाएंगे


रेलवे ने माना है कि तकनीक के बढ़ते उपयोग, रेल संचालन सिस्टम के आधुनिकीकरण व आउट सोर्सिंग के चलते अब काम करने वाले हाथ की संख्या कम करनी होगी। इसके लिए अगले तीन साल में 10 फीसदी कर्मचारी कम करने की बात कही गई है। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से 30 फीसदी और कुल 50 फीसदी तक कर्मचारी कम करने पर बात हो रही है। इसके लिए कर्मचारियों को फायदे का सौदे वाली स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति देने के फार्मूला बनाया जा सकता है। रेलवे का मानना है कि बजट का 60 फीसदी खर्च तो स्टाफ पर ही खर्च हो रहा है।



अगर ऐसा होता ताे रेलवे का ढांचा ही ढह जाता
निजीकरण करने के लिए ही कर्मचारियों की संख्या कम करने की बात रखी गई है। यूनियन के 50 हजार लोग अगर काम नहीं करते तो रेलवे का ढांचा ढह जाता। यूनियंस पर शिकंजा कसने की कोशिश सफल नहीं होने दी जाएगी। - शिवगोपाल मिश्रा, महासचिव, ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन